Breaking News
राष्ट्रीय खेल प्रचार टीम को खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया रवाना
निकाय चुनाव की तिथि का किया ऐलान, जानिए कब होगी वोटिंग
चकराता में हुई सीजन की दूसरी बर्फबारी, पर्यटक स्थलों पर उमड़े लोग, व्यवसायियों के खिले चेहरे 
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कैंसर जागरूकता शिविर का उठाया लाभ
 कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र
कुर्सी जो न कराए वो सही, – सत्ता हथियाने के लिए हर दाव-पेंच अपना रहे हैं नेता
कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित 
मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास

आपातकाल स्कूल-कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए- बंसल




नई दिल्ली। संसद भवन मे संसद बजट सत्र के पहले दिन सासंद राज्यसभा व भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष डा. नरेश बंसल ने शून्यकाल मे एक गंभीर विषय उठाया। डा. नरेश बंसल ने आपातकाल से संबंधित विषय उठाया। डा. नरेश बंसल ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग कि की वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल के दौरान संघर्ष से अवगत कराने के उद्देश्य से देश में व्याप्त परिस्थितियों, दमन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदम का विरोध करने के लिए लोकतंत्र सेनानियों के दृढ़ संकल्प पर अध्याय स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। डा.नरेश बंसल ने शून्यकाल मे इस विषय को उठाते हुए कहा कि आपातकाल भारत के लोकतंत्र का काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उस समय रक्षक ही भक्षक बन गए थे। आजादी के बाद इसे लोकतंत्र की दूसरी आजादी का भी नाम दिया गया।

डा.नरेश बंसल ने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा 1975-77 में आपातकाल ने देश के लोकतंत्र पर कलंक लगाया था।आपातकाल 21 महीने तक चला था, जिसमें नागरिक स्वतंत्रता का हनन, असहमति का दमन और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का हनन हुआ था। इसके साथ ही हज़ारों लोगों को बिना कारण बताए जेल में ठूंसा जाने लगा।उन्होनें कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए अनेकों अनेक लोग बलिदान हुए।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आपातकाल का वह स्याह कालखंड लोकतंत्र सेनानियों के लिए एक दुस्वप्न है। आज भी उस दौर को याद कर लोकतंत्र सेनानियों की आंखें नम हो जाती हैं। डा. नरेश बंसल ने जोर देते हुए कहा कि इस समय के पक्ष-विपक्ष के ज्यादातर नेता खुद आपातकाल की ज्यादतियों का शिकार हुए हैं।

डा. नरेश बंसल ने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग कि की देश में 1975-77 में आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों और दमन का विरोध करने वालों की ओर से की गई लड़ाई को समझाने वाला एक अध्याय स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। डा. नरेश बंसल ने अपनी मांग मे कहा कि की सभी छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों में एक पाठ होना चाहिए कि आपातकाल क्या था और इसे कैसे लगाया गया था? डा. नरेश बंसल ने कहा कि आपातकाल को अगर सही तरीके से पाठ्यपुस्तकों में स्थान दिया जाए तो लोकतांत्रिक शक्तियों का विकास होगा और प्रजातंत्र की जड़ें मजबूत करने में मदद मिलेगी ।

डा. नरेश बंसल ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपातकाल लगाकर इंदिरा की सरकार ने भारत के संविधान का गला घोंट दिया था। आज उनके परिवार और उनके पार्टी के लोग संविधान दिखाकर झूठ फैलाने का कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस ने जो लोकतंत्र के साथ विश्वासघात किया, उसे कभी भी माफ नहीं किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top